पुष्प की अभिलाषा
- माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi)
- माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi)
चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ
गहनों में गूँथा जाऊँ
चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ
बिंध प्यारी को ललचाऊँ
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ
पर हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ
मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फेंक
उस पथ पर देना तुम फेंक
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जावें वीर अनेक
जिस पर जावें वीर अनेक
http://www.youtube.com/watch?v=c4Mmz6V1Owc
Makhanlal Chaturvedi Translation: The Yearning of a Flower Desireth not to be on the young lass’ Tresses…living twice all over, Desireth not to be in a garland Binding, enticing young lovers, Desireth not to rest on the mortals Of Emperors – aren’t we equally God’s own? Desireth not to be on the heads of Gods To take pride in mere fortune, Pick me out, O Gardener! Strew me on the path that the Brave tread To sacrifice for Motherland! Let me, in obeisance, bow my head!
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